शाखा

प्रतिदिन एक निश्चित स्थान व निश्चित समय पर एकत्र होकर संघ दर्शन का चिंतन, सामाजिक चिन्तन एवं छोटे-छोटे खेलों के माध्यम से अपनी बुराईयों को त्यागने का अभ्यास शाखा है। वर्तमान के अर्थप्रधान युग में यह दुरूह कर्म संघ स्थापना से अनवरत जारी है एवं हजारों स्थानों पर संघ की शाखाएं लगती हैं।