शिविरों की दिनचर्या

प्रातः काल 4.00 बजे शंख की ध्वनि और जागरण गीत के साथ दिनचर्या प्रारम्भ होती है। जागरण, निवृत्ति के पश्चात ध्वज वंदना होती है। वंदना के पश्चात व्यायाम एवं खेल, तत्पश्चात अल्पाहार। अल्पाहार के पश्चात सामास्या के तहत चर्चा फिर स्नान एवं यज्ञ तथा यज्ञ के पश्चात अर्थ बोध के तहत संघ साहित्य पर चर्चा होती है। इसके बाद भोजन, विश्राम एवं बौद्धिक खेल होते है। इसके बाद संघ दर्शन पर विस्तृत विवेचना सहित प्रवचन एवं तत्पश्चात सायंकालीन क्रीड़ा होती है। क्रीड़ा के पश्चात आद्यशक्ति की प्रार्थना, घट चर्चा (समूह चर्चा) एवं भोजन होता है। इस प्रकार पूरा दिन शरीर,मन, बुद्धि एवं हृदय के विकास के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को संजोए हुए शिविरार्थी को व्यस्त रखा जाता है ताकि वह पूरे दिन स्वयं, संघ व समाज का चिंतन कर सके|