दस प्राथमिक प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न

15 अगस्त से 26 अगस्त की अवधि में श्री क्षत्रिय युवक संघ के 10 प्राथमिक प्रशिक्षण शिविर विभिन्न स्थानों पर सम्पन्न हुए, जिनमें लगभग 1500 बालकों व युवाओं ने संघ का प्राथमिक स्तर का प्रशिक्षण प्राप्त किया। सभी शिविरों के संक्षिप्त समाचार यहां प्रस्तुत है। मध्य गुजरात संभाग के अहमदाबाद शहर प्रान्त में वासन गांव में 15-17 अगस्त तक शिविर का आयोजन हुआ। विद्या मंदिर स्कूल में आयोजित शिविर का संचालन श्री दिग्विजय सिंह पलवाड़ा ने किया, जिसमें अहमदाबाद, गांधीनगर, पडूसमा, समौ, खाटा आम्बा, लिम्बोदरा, मेहसाणा, भेसाना, मेऊ, अम्बोड, वडासन, वासन, रामपुरा, उनावा और भावनगर से शिविरार्थी सम्मिलित हुए। प्रान्त प्रमुख जगत सिंह वलासना तथा करण सिंह पडूसमा ने वासन ग्रामवासियों के सहयोग से व्यवस्था संभाली। गुजरात के ही बनासकांठा प्रान्त में 18-20 अगस्त तक टापासर झझाम स्थित सगत माताजी मंदिर के प्रांगण में शिविर का आयोजन हुआ। श्री अजित सिंह कुणघेर के संचालन में सम्पन्न शिविर में ध्रेचाणा, झझाम, सोनेथ, बोरु, वरणोसरी, चारण्डा, लिबोणी, रामसन, वातम, मसाली, किलाणा, रडोसण, वलादर, नारोली, पावीसणा, डेल, धनाणा, धराद, धूणसोल, कुणघेर, सुईगांव, मोरवाड़ा आदि गांवों के राजपूत युवाओं ने प्रशिक्षण लिया। श्री जबर सिंह ध्रेचाणा ने सहयोगियों के साथ मिलकर शिविर की व्यवस्था संभाली। जोधपुर संभाग के शेरगढ़ प्रान्त का शिविर लोडता गाँव में आयोजित हुआ। 20-23 अगस्त तक आयोजित इस शिविर का संचालन श्री चन्द्रवीर सिंह देणोक ने किया तथा लोडता, खिंयासरिया, बेलवा, सेखाला, लवारण, बस्तवा, पीलवा, एस के तला, ओसियाँ गांवों के युवाओं के साथ हनवंत छात्रावास व पंचवटी छात्रावास के विद्यार्थी सम्मिलित हुए। लोडता के समाजबंधुओं ने मिलकर आयोजन-व्यवस्था का जिम्मा उठाया। पाली जिले में रोहिट के पास स्थित गाजणमाता मंदिर के प्रांगण में भी इसी अवधि में शिविर सम्पन्न हुआ, जिसका संचालन केन्द्रीय कार्यकारी श्री रेवन्त सिंह पाटोदा ने किया। शिविर में चोटिला, मणिहारी, वायद, सिराणा, चेन्डा, धींगाणा, उमकली, कुलथाना, बिठू, गादेरी, मोरिया आदि गाँवो के साथ पाली शहर से भी शिविरार्थी सम्मिलित हुए। सर्वश्री महान पराक्रम सिंह चोटिला, जितेन्द्र सिंह चोटिला व आनन्द सिंह खाम्भल ने व्यवस्था का जिम्मा संभाला। सिरोही जिले के लोटिवाड़ा गांव स्थित धवाली माता मंदिर में भी इसी अवधि में शिविर का आयोजन हुआ, जिसका संचालन श्री गणपत सिंह भंवराणी ने किया। शिविर में काणदर, झाड़ोली वीर, लोटीवाड़ा, मांडाणी, नारादरा, चाँदना, सिवणा, सतापुरा, बारेवड़ा, भेटाला, चूरा आदि गाँवों के साथ सिरोही शहर से भी राजपूत बालकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। सर्वश्री मान सिंह, सुमेर सिंह, जीतू सिंह ने ग्रामवासियों के साथ मिलकर व्यवस्था संभाली। जैसलमेर संभाग में खुहड़ी-धोबा में भी 20-23 अगस्त तक शिविर का आयोजन हुआ, जिसमें बेरसियाला, तेजमालता, दामोदरा, शोभ, कनोई, म्याजलार, झिंझनियाली, धोबा, खुहड़ी, जानरा, बरना, सिपला, डांगरी, पोछीना, बडोडा गांव, भाडली, रणधा, लखा, सलखा, रोहिड़ी, जोगीदास का गांव, इन्द्रोई, भिंयाड़ व खबड़ाला आदि गांवों के बालकों ने प्रशिक्षण लिया। शिविर का संचालन श्री भोजराज सिंह तेजमालता ने किया तथा धोबा ग्रामवासियों ने मिलकर शिविर की व्यवस्था संभाली। 19-22 अगस्त की अवधि में नागौर संभाग के खींवसर मंडल के करणू गांव में शिविर का आयोजन हुआ। गांव के उच्च माध्यमिक विद्यालय परिसर में आयोजित इस शिविर का संचालन श्री नत्थू सिंह छापड़ा ने किया। शिविर में साटिका, भून्डेल, रिडमलसर, करणू, देऊ, बेदु, बापिणी, कड़वा, गोगलाव, जाखण, चावंडिया, छापड़ा, पांचौड़ी आदि गांवों के राजपूत युवा सम्मिलित हुए। इसी अवधि में बीकानेर जिले की श्री डूंगरगढ़ तहसील के पुन्दलसर गांव में भी शिविर सम्पन्न हुआ, जिसमें पुन्दलसर, खोनियासर, बेलासर, झंझेऊ, मोरखाना, किरतासर, सेरूणा, बरजांगसर, लखासर, सलासर, गुंसाइसर, डूंगरगढ़, जाखासर, इनपालसर, नोसरिया, मिगसरिया आदि गांवों से शिविरार्थी सम्मिलित हुए। श्री गुलाबसिंह आशापुरा ने शिविर का संचालन किया तथा पुन्दलसर के समाजबंधुओं ने मिलकर शिविर की व्यवस्था का जिम्मा संभाला। बाड़मेर संभाग में भी इसी अवधि में एक शिविर गुड़ामालानी प्रान्त के नयानगर में सम्पन्न हुआ। श्री हरिसिंह उण्डखा के संचालन में सम्पन्न इस शिविर में उण्डखा, महाबार, मीठड़ा, बूठ, बूल, भालीखाल, धाँधलावास, भाटाला, पांयला कलां, बागोड़ा, नयानगर, गुड़ामालानी के युवाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। श्री नेपाल सिंह भीखसर ने शिविर की व्यवस्था संभाली। बाड़मेर संभाग के ही चौहटन प्रान्त के कारटिया (सेड़वा) में भी 23-26 अगस्त की अवधि में शिविर सम्पन्न हुआ। संभाग प्रमुख श्री देवीसिंह माडपुरा के निर्देशन में श्री भगवान सिंह दूधवा ने शिविर का संचालन किया तथा श्री कालू सिंह गंगासरा ने आयोजन की व्यवस्था में सहयोग किया।