जेल और विद्यालय शिक्षण के स्थान होते हैं। सिद्धांततः जेल सजा की जगह नहीं बल्कि बिगडे़ हुए इंसानों को सुधारने की जगह मानी जाती है। इसलिए विद्यालयों में शिक्षकों व जेल में जेल अधिकारियों का राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान है। लेकिन आजाद भारत की जेलें क्या इस सिद्धांत को चरितार्थ कर पा रही हैं? 1956 में भूस्वामी आंदोलन के दौरान पूज्य तनसिंह जी ने 30 जनवरी 1956 को गिरफ्तारी दी और उन्हें टोंक जेल में रखा गया। वहां तत्कालीन राजस्थान सरकार के निर्देश पर पूज्य श्री एवं उनके साथियों के साथ राजनीतिक कारणों से हुए दुर्व्यवहार को लिपिबद्ध कर जनवरी 1960 से लेकर नवंबर 1960 तक मासिक पत्रिका ‘संघशक्ति‘ में प्रकाशित किया गया। उन्हीं लेखों का संकलित रुप है यह पुस्तक जिसे 1990 में प्रकाशित किया गया।