पूज्य तनसिंह जी नित्य अपनी डायरी लिखते थे। सन् 1964 के बाद की उनकी डायरियां सुरक्षित रखी हुई हैं। डायरी लेखन की उनकी शैली रोचक रही है। उन्होंने जो कुछ देखा, सुना, सोचा, परखा, अनुभव किया उसे बड़ी रोचक शैली में अपनी डायरी में बेझिझक लिख दिया। उनकी डायरी को पढने से उनके बहुआयामी व्यक्तित्व का परिचय मिलता है। उनकी डायरी के ये पृष्ठ समझदार लोगों के लिए प्रेरक प्रसंग की भांति हैं। उनकी डायरियों में से ऐसे ही 599 अवतरणों का संकलन ‘डायरी‘ नामक पुस्तक के रुप में 1996 में प्रकाशित किया गया।