अपनी संपूर्ण लगन और निष्ठा से जीवन भर श्री क्षत्रिय युवक संघ द्वारा प्रदत्त तपस्या मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति के लिए परवाह करने योग्य केवल उसका उद्देश्य और उसका संकल्प ही रह जाता है। इससे असंबद्ध अन्य सभी कुछ से वह स्वतः लापरवाह हो जाता है। पूज्य तनसिंह जी ने अपने ऐसे ही तपोनिष्ठ अनुगामियों एवं स्वयं के अनुभवों को जनवरी 1965 से दिसंबर 1965 तक ’संघशक्ति’ पत्रिका में धारावाहिक रुप से प्रकाशित करवाया। पुस्तक के रुप में इन्हें 1990 में संकलित कर प्रकाशित करवाया गया।