केवल उत्तेजना से काम न चलाकर प्राकृतिक चिकित्सा के आधार पर रुग्ण जाति व समाज को उसका नैसर्गिक बल प्रदान करने के लिए एक व्यवहारिक शिक्षण एवं मार्गदर्शन के लिए यह पुस्तक लिखी गई है। श्री क्षत्रिय युवक संघ सारे समाज में एक ऐसी स्वस्थ और अकाट्य विचार प्रणाली फैलाने को प्रयासरत है जो क्रियात्मक रुप से समाज के लोगों को एक सांचे में ढाल सके। उसी प्रणाली का प्रारंभिक परिचय है यह पुस्तक। इस पुस्तक का प्रथम संस्करण 1956 में प्रकाशित हुआ था।