अनेकों स्थानों पर मनाई प्रताप जयन्ती
श्री क्षत्रिय युवक संघ के तत्वावधान में देश भर में विभिन्न स्थानों पर 28.05.2017 को भारतीय पञ्चांग के अनुसार महाराणा प्रताप की 477वीं जयंती मनाई गई। विस्तृत विवरण इस प्रकार है- पुणे:- प्रताप युवा शक्ति महाराष्ट्र के तत्वावधान में पुणे के सुखसागर नगर स्थित दुर्गा माता मंदिर में महाराणा प्रताप की 477 वी जयंती का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत रघुनाथसिंहजी बैणकियावास ने गणेश वंदना और प्रार्थना से की। प्रदेश भर से आए हजारों क्षत्रिय केशरिया साफे पहने कार्यक्रम में उपस्थित थे। समारोह के अध्यक्ष और प्रताप युवा शक्ति के संयोजक कुलदीपसिंह सिरसला ने कहा कि प्रताप ने अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए, स्वाभिमान की रक्षा के लिए ना केवल उन्होंने बल्कि उनके पुरे परिवार अनेकों कष्ट सहे, परंतु किसी भी कीमत पर झुकना स्वीकार नहीं किया। श्री क्षत्रिय युवक संघ के महाराष्ट्र प्रांत प्रमुख निरसिंहजी सिंघाना ने भी महाराणा प्रताप के जीवन पर अपने विचार व्यक्त किए। प्रताप युवा शक्ति, राजस्थान के प्रदेश उपाध्यक्ष गजेन्द्रसिंह बरवाली ने सगंठन की विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि हमारा संगठन बिना किसी राजनीतिक विचारधारा में सम्मिलित हुए निस्वार्थ भाव से समाज सेवा के लिए कृतसंकल्प है। देश के किसी भी कोने में किसी भाई को रक्त की आवश्यकता पडती है, तो हमारा सगंठन तत्काल उसकी व्यवस्था करवाता है। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मुबंई से पधारे राजस्थान राजपूत परिषद् के संरक्षक रघुनाथसिंहजी सराना का प्रताप युवा शक्ति महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष रणजीतसिंह चौक ने यथार्थ गीता भेंट कर स्वागत किया। समारोह में नगरसेवक अभय छाजेड, नगरसेवक विरसेन जगताप, चेतन टिळेकर, अमोल र्धमावत, राजाभाऊ कदम, उगमसिंह बर, जयसींह हिंगोला, गंगासिंह कुरना, देवीसिंह राजावत, राजुसिंह राखी, दिपसिंह चौक, भवानीसिंह सोढा, देवीसिंह डाबड, मांगुसिंह बावली,जिवनसिंह खारियाअनावास, शामसिंह तापु,ज्ञानसिंह पिलवा, जितेंद्र खत्री आदि उपस्थित थे. कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए भूपेंद्रसिंह खातोली, ईश्वरसिंह मोरूआ, सुमेरसिंह पाचलासिद्दा, सरवनसिंह बैरु, हरीसिंह बरडाना, मिटुसिंह सिवाना, भवरसिंह सेदरीया, प्रेमसिंह तापु, भवरसिंह बावरली, जितेंद्रसिंह खिंवसर, केशससिंह सांगाडी, वासुदेवसिंह भाटी, देवीसिंह रूदिया, नरपतसिंह कोरणा, मुकेंन्द्रसिंह मोकलावास, शिवपालसिंह कोसेलाव, जितेंद्रसिंह केलवाद, महेन्द्रसिंह खण्डप, पदमसिंह वाडका, महावीरसिंह फलवदी, महिपालसिंह राणा, बलवीरसिंह बल्लुपुरा, मानसिंह पाहडपुरा, श्रवणसिंह सिवाना, श्रवणसिंह सिंह करडा, महावीरसिंह चौंणोद, ओंकारसिंह पाचलासिद्दा, प्रेमसिंह गाजु, भोपालसिंह तापु आदि ने सहयोग किया। जिलाध्यक्ष सुरेंद्रसिंह कारोलिया और शहर अध्यक्ष जसवंतसिंह नांदिया कल्ला ने सभी का आभार व्यक्त कर धन्यवाद दिया. दिल्ली:- दिल्ली में 28.05.2017 को श्री क्षत्रिय युवक संघ के स्वयंसेवकों द्वारा महाराणा प्रताप की जयन्ती पर उनके स्मारक पर जाकर स्वतंत्रता और स्वाभिमान के अमर पुरोधा को समरण किया गया। "भारत का मान बिन्दु, केशरिया यह झंडा हमारा| मर के अमर हो जाना, पर यह झण्डा न नीचे झुकाना ||" पूज्य श्री तनसिंहजी द्वारा मार्च 1946 में लिखी इस प्रार्थना के साथ महाराणा प्रताप जयंती समारोह का शुभारम्भ हुआ| आई. एस. बी. टी., काश्मीरी गेट, दिल्ली स्थित महाराणा प्रताप स्मारक पर प्रातः 9 बजे पहुँचकर दिल्ली में लगने वाली दोनों शाखाओं के स्वयंसेवकों तथा अन्य समाज बंधुओं ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप को पुष्पों के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की| संघ के दिल्ली के प्रान्त प्रमुख रेवत सिंह धीरा ने पूज्य श्री तन सिंह जी द्वारा रचित होनहार के खेल पुस्तक से "चेतक की समाधि" प्रकरण पढ़ा| उन्होंने तनसिंह जी के प्रताप और उनके साथी चेतक के भावों को सब के सामने रखा और कहा कि "महाराणा प्रताप उस समय थे तभी आज हम है, यदि वे तब नहीं होते तो आज हम भी नहीं होते| श्री क्षत्रिय युवक संघ भी उसी प्रकार हमारे अस्तित्व को बचाने के लिए निरंतर कार्यरत है|" कुछ समाज बंधू कार्यक्रम में पहली बार श्री क्षत्रिय युवक संघ से परिचित हुए और उन्होंने आश्वस्त किया कि वे अब से श्री क्षत्रिय युवक संघ की साप्ताहिक शाखा में नियमित रूप से आएंगे | कार्यक्रम का समापन " बे दर्द न बन रे याद में अब जल ढलता है तो ढलने दे " सहगायन से किया गया| मूलाना:- "महाराणा प्रताप संघर्ष का प्रतीक हैं। लगातार पच्चीस वर्ष तक उन्होंने संघर्ष किया। ये संघर्ष क्षमता आज भी हमारे जीवन में है, पर हम अपने स्वरूप को नहीं पहचान रहे है। संघ लगातार इसी बात की ओर ध्यान दे रहा है, कि हम अपने रूप को पहचाने और उसके लिए संघ को भी प्रताप की भाँति संघर्ष करना पड़ रहा हैं। हम किसी व्यक्ति या जाति से नहीं, अपने आप से संघर्ष कर रहे हैं। हर व्यक्ति के भीतर दैवीय और आसुरी, ये दोनों शक्तियाँ होती है। इन दोनों शक्तियों का आपस में परस्पर संघर्ष होता रहता है। जिस व्यक्ति के अंदर आसुरी शक्ति जागृत होती हैं, वह पाप की ओर बढ़ता है और जिस व्यक्ति के अन्दर दैवीय शक्ति जागृत होती हैं, वह पुण्य की ओर बढ़ता है। श्री क्षत्रिय युवक संघ हमारे लिए अमृत बरसाता हैं, हमें जागृत होना पड़ेगा, उठ खड़ा होना पड़ेगा, अपने आप को जागृत करके आत्मा को परमात्मा में मिलाना होगा, तब हमारा जीवन सार्थक होगा।" उपरोक्त उद्गार मूलाना शाखा में संघ के जैसलमेर संभाग प्रमुख गोपालसिंहजी रणधा ने प्रकट किये। रणधा ने महाराणा प्रताप, पाबूजी, सुजानसिंह जैसे महापुरुषों के जीवन से सीख लेकर कर्तव्य पालन की बात कही। संघ के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। मंगलाचरण के साथ शुरू हुए जयंती समारोह कार्यक्रम में जैसलमेर (मूलाना-चांधन) ग्रामीण प्रांत के सह प्रांत प्रमुख चन्दनसिंह मूलाना ने 'क्षत्रिय कुल में प्रभु जन्म दिया तो......'प्रार्थना करवाई। इस दौरान उपस्थित सभी समाज बंधुओं द्वारा महाराणा प्रताप की तस्वीर पर पुष्पांजली अर्पित की गई। जैसलमेर (मूलाना-चांधन) ग्रामीण क्षेत्र के प्रांत प्रमुख तारेन्द्रसिंहजी जिंझनियाली ने 'जलवे अनेक रण के....... 'सहगीत प्रस्तुत किया।गिरधरसिंह मूलाना ने महाराणा प्रताप का जीवन परिचय देते हुए शूरवीर योध्दा बताया। हिन्दूसिंह म्याजलार ने 'इतिहास याद दिलाये ...' सहगीत करवाया। जन्मान्ध (जन्म से दृष्टिहीन) मनोहर सिंह मूलाना ने महाराणा प्रताप के जीवन सम्बन्धित विभिन्न घटनाओं का विवरण पेश करते हुए कहा कि हमारे पूर्वजों ने बलिदान देकर मातृभूमि को सुरक्षित व स्वतंत्र रखा।महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक को उनका सच्चा साथी बताते हुए 'ओ नीले घोड़े रा असवार, म्हारा मेवाड़ी सरदार.......'गीत प्रस्तुत किया। श्री आईनाथ शिक्षण संस्थान के व्यवस्थापक भूरसिंहजी मूलाना ने कहा कि महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों की गौरव गाथाएं व उज्ज्वल इतिहास हमारी धरोहर हैं। जोरावरसिंहजी मूलाना ने जयंती समारोह में बोलते हुए कहा कि क्षत्रिय को अपना जीवन शास्त्रों के अनुसार जीना चाहिए। राजपूत के प्रत्येक परिवार में श्री मद्भभगवद् गीता होनी चाहिए व उसका नियमित अध्ययन आवश्यक है। अध्यापक सवाईसिंह जी मूलाना तथा गुलाबसिंह मूलाना ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस दौरान पीर साहब चतुरसिंह जी मूलाना, कंवराज सिंह सेतरावा, अवतारसिंह तेजमालता, हाकमसिंह म्याजलार, शिवसिंह, जगमालसिंह, मेघराजसिंह, नाथूसिंह, आम्बसिंह, इन्द्रसिंह, बलवंतसिंह, सवाईसिंह, अर्जुनसिंह आदि सहित राजपूत समाज के अनेक लोग उपस्थित थे। 'शौर्यं तेजो......' मंत्रोच्चारण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। पोकरण:- हिंदुआ सूरज, राष्ट्र गौरव महाराणा प्रताप की 477वीं जयन्ती स्थानीय दयाल राजपूत छात्रावास, पोकरण में मनाई गई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री क्षत्रिय युवक संघ के पोकरण संभाग के संभाग प्रमुख श्री साँवल सिंह सनावड़ा ने कहा कि महाराणा प्रताप जैसे महान् व्यक्तित्व से प्रेरणा प्राप्त करके हम सच्चे क्षत्रिय बन सके। काँटों भरी राह पर चलकर ही श्रेष्ठ चरित्र प्राप्त होता है। संघ के पोकरण प्रांत प्रमुख श्री अमर सिंह रामदेवरा ने कहा कि हमारी एकता आज समय की मांग है, परन्तु पहले हम नेक बनें, फिर एक बनें। कार्यक्रम को मदन सिंह राजमथाई, जीवनराज सिंह राजगढ़, भूर सिंह सांकडा आदि वक्ताओं ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में हरी सिंह मोडरडी, प्रताप सिंह सांकडा, नरपत सिंह राजगढ़, सुरेंदर सिंह बामण, विक्रम सिंह लोहारकी, पूनम सिंह घंटियाली आदि गणमान्य समाज बन्धु उपस्थित थे। बाड़मेर:- "विकट परिस्थितियों में भी तथाकथित सम्राट अकबर से लोहा लेकर अपने राष्ट्र की आन-बान और मर्यादा को अक्षुण्ण रखने वाले महाराणा प्रताप के उदात्त चरित्र के कारण ही मेवाड़ के छत्तीस कौम के लोग उनके प्रति समर्पित रहें।" यह बात श्री क्षत्रिय युवक संघ के तत्वावधान में रानी रूपादे संस्थान में आयोजित महाराणा प्रताप की जयंती समारोह में शिक्षविद् श्री कमल सिंह चूली ने कही। कार्यक्रम रविवार शाम 5 बजे मंगलाचरण तथा पुष्पांजलि के साथ प्रारम्भ हुआ। बाड़मेर संभाग प्रमुख श्री राम सिंह माडपुरा तथा श्री महिपाल सिंह चूली ने पूज्य तनसिंह जी रचित सहगीत प्रस्तुत किए। समारोह को महेंद्र सिंह तारातरा, राजेंद्र सिंह भिंयाड़, गोपाल सिंह सुवाला, देवी सिंह माडपुरा आदि वक्ताओं ने संबोधित किया। समारोह में संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक सांग सिंह लूणु, अशोक सिंह भीखसर, समंदर सिंह देदूसर, टील सिंह, लाल सिंह, बाबू सिंह सरली, कमल सिंह गेंहू, भगत सिंह जसाई, नरपत सिंह चिराणा, स्वरुप सिंह भुरटिया आदि उपस्थित थे। चौहटन:- भवानी क्षत्रिय बोर्डिंग हाउस, चौहटन में प्रताप युवा शक्ति के तत्वावधान में महाराणा प्रताप की 477वीं जयन्ती मनाई गई। मुख्य वक्ता माधव राठौड़ ने कहा कि वर्तमान में भी प्रत्येक व्यक्ति को भी महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व से प्रेरणा प्राप्त कर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने समाज से एकता बनाए रखने का भी आह्वान किया, जिससे समाज में क्षात्र-धर्म की पुनर्स्थापना हो सके। समारोह को प्रताप युवा शक्ति के जिला प्रमुख श्री महेंद्र सिंह तथा उदय सिंह देदूसर ने भी संबोधित किया।