अभ्यास है साधना का सूत्र

"आपने चार दिवस तक यहाँ रहकर जो साधना की है, वह यहाँ से जाने के बाद भी जारी रखें। बिना निराश हुए निरन्तर अभ्यास ही वह सूत्र है जो हमारे जीवन को दिव्य और पवित्र बनाएगा। आपने जो यहां सीखा, जो संकल्प आपके भीतर जगा, वह बाहर के विपरीत वातावरण में कमजोर हो सकता है, लेकिन अभ्यास जारी रखा तो परिणाम अवश्य आयेगा।विश्वामित्र की अनेक बार तपस्या भंग हुई पर निराश न होकर हर बार पुनः तप में लग गए तो ब्रह्म ऋषि बन गये।" उपरोक्त सन्देश संघ के महिला प्रकोष्ठ के राजस्थान प्रभारी जोरावर सिंह भादला के निर्देशन में संचालन कर रही श्रीमती उषा कँवर पाटोदा ने बिखरणियां में चल रहे बालिका शिविर के विदाई कार्यक्रम में शिविरार्थी बालिकाओं को दिया। शिविर 14 जून को प्रारम्भ होकर 17 जून को संपन्न हुआ, जिसमें 100 से अधिक बालिकाओं ने भाग लेकर क्षत्रियोचित संस्कारों का अभ्यास किया। शिविर के अन्त में स्वयंसेवक श्री पवन सिंह बिखरणियां ने बालिकाओं को 'कैरियर विकास' के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया और निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसरों के बारे में बताया। शिविर में बिखरणियां के भवानी सिंह जी, नरपत सिंह जी, बलबीर सिंह जी, दिलीप सिंह जी आदि का सहयोग रहा।