क्या होता है स्वयंसेवक ?
"वर्तमान समय में सम्पूर्ण संसार में भिन्न - भिन्न प्रकार के दुराचार, भ्रष्टाचार, अत्याचार आदि अत्याधिक बढ़ रहे है जिसका मूल कारण क्षात्र वृति के पालन से क्षत्रिय का पीछे हटना है| क्षत्रिय के स्वधर्म पालन में ही संसार का कल्याण निहीत है| स्वधर्म पालन का प्रारम्भ सेवा से करना है और सेवा का भी प्रारम्भ स्वयं की सेवा से करना है इसीलिए हमें स्वयंसेवक कहा जाता है| स्वयं की सेवा का सूत्र है - संयम| संयम ही हमारी सभी समस्याओं का सम्यक समाधान है| " संघ के उच्च प्रशिक्षण शिविर के दूसरे दिन माननीय संघ प्रमुख श्री ने अपने प्रभात सन्देश में उपरोक्त बात कही| पुष्कर में आयोजित इस शिविर में 300 से अधिक स्वयंसेवक समाज का सदृढ़ एवं संबल अंग बनने हेतु तपोबल का अर्जन कर रहे है| क्षत्रिय युवक संघ के संचालन प्रमुख श्री महावीर सिंह जी सरवड़ी ने तनसिंह जी की पुस्तक 'साधक की समस्याएँ' पर चर्चा करते हुए स्वयंसेवकों को रूढ़िगत साधना में कसने और साधन का दृढ़ पनपाने के प्रति सम्बोधित किया|