क्षय से बचाने वाला ही क्षत्रिय – संघप्रमुख श्री
क्षत्रिय के रूप में जीने के लिए क्षत्रिय का सही अर्थ जानना आवश्यक है। शास्त्रों में बताया है कि क्षतात त्रायते, इति क्षत्रिय अर्थात जो क्षय से रक्षा करें वही क्षत्रिय है। सभी प्रकार के क्षरण को रोकने के लिए जो संघर्ष करता है वही क्षत्रिय है। ईश्वर ने हमें क्षत्रिय कुल में जन्म दिया है लेकिन हम स्वयं को क्षत्रिय कहने के अधिकारी तभी बनेंगे जब हम समाज, धर्म, संस्कृति और मानवता के हो रहे क्षरण को रोकने के लिए आगे आएंगे और ऐसा कैसे किया जाये, इसका मार्ग श्री क्षत्रिय युवक संघ बताता है। उपरोक्त संदेश माननीय संघप्रमुख श्री लक्ष्मण सिंह जी बैण्याकाबास ने दक्षिण गुजरात राजपूत समाज भवन, सूरत में 13 मार्च को आयोजित स्नेहमिलन कार्यक्रम में दिया। कार्यक्रम में मातृशक्ति सहित लगभग तीन हजार समाजबंधु उपस्थित रहे। इससे पूर्व 12 मार्च को माननीय संघप्रमुख श्री मुम्बई प्रवास पर रहे जहां उनके सान्निध्य में विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रम रखे गए। प्रातः 7 बजे भायंदर पूर्व में नारायण शाखा द्वारा आई माता मंदिर में स्नेहमिलन रखा गया। इसके पश्चात मलाड में वाघेश्वरी माता मंदिर में वीर दुर्गादास शाखा द्वारा कार्यक्रम आयोजित हुआ। सायं 7 बजे भूलेश्वर स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में स्नेहमिलन सम्पन्न हुआ। संभाग प्रमुख नीर सिंह सिंघाना सहयोगियों सहित कार्यक्रमों में उपस्थित रहे।