दो प्राथमिक प्रशिक्षण शिविर एवं एक माध्यमिक प्रशिक्षण शिविर कर चुका ऐसा शिविरार्थी जिसने दसवीं कक्षा उत्तीर्ण कर ली हो, अपने क्षेत्र के प्रांत प्रमुख की अनुमति से, इस शिविर में आ सकता है। यह शिविर प्रायः मई माह में पूरे संघ का एक ही आयोजित होता है। विशेष आवश्यकता होने पर एकाधिक भी हो सकते हैं। प्रायः इस शिविर में माननीय संघप्रमुख श्री का सान्निध्य प्राप्त होता है। इस शिविर में शिविरार्थियों के स्तरानुकूल अलग-अलग समूह बनाकर शिक्षण दिया जाता है। संघ दर्शन के विभिन्न विषयों यथा ध्येय, साधना, लोक संग्रह, अधिकारी साधक, ऐतिहासिक अन्तरावलोकन, जीवित समाज के लक्षण, हमारी संस्कृति, अनुशासन, उत्तरदायित्व, ध्वज, नेतृत्व आदि पर विस्तार से समझाया जाता है। प्रत्येक शिविरार्थी नित्य यज्ञ करता है। मई माह की विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों में अपने घर की परिस्थितियों को भूलकर न्यूनतम आवश्यकताओं में सादगीपूर्ण जीवन जीने का अभ्यास करवाया जाता है। खेल, सहगीत, विनोद सभाएँ, भजन के अतिरिक्त स्वयं के प्रकटीकरण के अनेक अवसर प्रदान किये जाते हैं जिससे शिविरार्थी स्वयं का आंकलन कर सके। प्रत्येक शिविरार्थी के विकास पर ध्यान दिया जाता है एवं तदनुकूल उसको शिक्षण दिया जाता है।