सामान्य प्रश्न

उत्तर- वर्तमान में संघ का कार्य राजस्थान व गुजरात में विस्तृत है। इसके अलावा उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि राज्यों के कुछ भागों में कार्य चल रहा है। तमिलनाडु व आन्ध्रप्रदेश में भी संघ के शिविर हुए हैं। विदेशों में रहने वाले हमारे स्वयंसेवक भी अपने यहां शाखा लगाते हैं।

उत्तर- संगठनात्मक स्वरुप सबटैग में दिए गए संपर्क सूत्र से।

उत्तर- संघ की मासिक पत्रिका ‘संघशक्ति’ एवं पाक्षिक समाचार पत्र ‘पथप्रेरक’ प्रकाशित होता है। आप ’पत्र पत्रिकाएं’ टैग में जाकर उनके बारे में विस्तृत जानकारी ले सकते हैं। इनमें सांघिक गतिविधियों की सूचनाएं प्रकाशित होती हैं। आप कवर पेज पर उल्लेखित सोशल मीडिया अकाउंट पर भी जानकारी हासिल कर सकते हैं।

उत्तर- ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है। अनेक लोग प्रोढ़ावस्था में संघ से जुडे और आज सक्रिय सहयोगी के रुप में जीवन लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं, लेकिन संघ का यह मानना है कि बाल्यावस्था, किशोरावस्था एवं युवावस्था अपने आपको बदलने का उपयुक्त समय है इसलिए संघ इस उम्र के लोगों पर अपना ध्यान अधिक केन्द्रित करता है।

उत्तर- संघ के विभिन्न प्रकोष्ठ एवं अनुषंगिक संगठन इस विषय में कार्यरत हैं। वे स्वतंत्र रुप से स्नेहमिलन, बैठकें व कार्यशालाएं आदि आयोजित कर समाज के विभिन्न वर्गों को संघ से परिचित करवाते हैं।

उत्तर- श्री क्षत्रिय युवक संघ अपने आप में स्वायत्त संगठन है जिसकी अपनी विशिष्ट कार्यप्रणाली है, यह किसी अन्य संगठन से संबंद्ध नहीं है।

उत्तर- संघ अपना पूरा ध्यान अपने मूल काम पर केन्द्रित करता है, लेकिन समाज की तात्कालिक समस्याओं को भी उपेक्षित नहीं करता। इनके लिए अप्रत्यक्ष रुप से अपने स्वयंसेवकों एवं अनुषंगिक संगठनों के माध्यम से कार्य करता है। प्रत्यक्ष रुप से केवल अपना मूल काम ही करता है।

उत्तर- संघ प्रत्यक्ष रुप से राजनीति में भाग नहीं लेता लेकिन संघ के संपर्क वाले श्रेष्ठ लोग राजनीति में सक्रिय हों ऐसी सद्ईच्छा से व्यक्तिगत स्तर पर श्रेष्ठ लोगों का सहयोग करने का निर्देश अपने स्वयंसेवकों को देता है।

उत्तर- संघ किसी राजनीतिक दल के सापेक्ष नहीं है बल्कि समाज सापेक्ष है। इसलिए समाज के लिए श्रेष्ठ करने वाले हर व्यक्ति का समर्थन करता है, चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल में हो।

उत्तर- संघ का मानना है कि किसी भी रुढि या सामाजिक बुराई के खिलाफ व्यक्तिगत उदाहरण पेश कर ही अन्यों को उसे छोडने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। इसलिए अपने स्वयंसेवकों को निर्देशित करता है कि जो भी सामाजिक रुढियां एवं बुराईयां हैं उनको स्वयं छोडें ताकि अन्य लोग प्रेरणा लेकर अनुकरण करना प्रारंभ करें। ऐसा ही व्यसन आदि के लिए करता है।