मातृशक्ति के संस्कारित होने से ही संस्कारित होगा समाज – संरक्षक श्री
आज बाहर का वातावरण अत्यंत दूषित हो गया है। अपनी संस्कृति को छोड़कर इतर संस्कृति का हम अंधानुकरण कर रहे हैं। अपनी भाषा, पहनावे आदि को हम भूलते जा रहे हैं। यद्यपि हमारे समाज की महिलाओं ने अभी भी हमारी संस्कृति को जीवित रखा है किंतु अब बालिकाओं पर भी इस दूषित वातावरण का प्रभाव पड़ने लगा है। संघ का कार्य संस्कार निर्माण का कार्य है और मातृशक्ति को संस्कारित किए बिना समाज संस्कारित नहीं हो सकता। इसीलिए ऐसे स्नेहमिलनों, शाखाओं व शिविरों का माध्यम से संघ हमारी मातृशक्ति को संस्कारित करने का प्रयत्न कर रहा है। हम सभी का कर्त्तव्य है कि हम अपनी बालिकाओं को संघ के शिविरों में भेजें और इस कार्य में सहयोगी बनें। उपरोक्त संदेश संघ के संरक्षक माननीय भगवान सिंह जी रोलसाहबसर ने बीकानेर स्थित संभागीय कार्यालय नारायण निकेतन में 2 सितंबर को आयोजित पारिवारिक स्नेहमिलन में दिया। कार्यक्रम में शहर में रहने वाले स्वयंसेवक सपरिवार सम्मिलित हुए।