रत्नगर्भा क्षत्रिय कौम के अनमोल रत्न है विक्रमादित्य – बेण्यांकाबास
क्षत्रिय समाज ने समाज और राष्ट्र को ऐसे महान व्यक्तित्व दिए हैं जिनकी तेजस्विता के सामने रत्नों और हीरों की चमक भी फीकी लगती है। वीर विक्रमादित्य परमार भी क्षत्रिय कौम के ऐसे ही सपूत है जिन्होंने अपनी महानता से जन-जन के हृदय में अपना स्थान बनाया। उज्जैनी के शासक गंधर्वसेन के पुत्र विक्रमादित्य ने अपने पराक्रम से शकों को भारत से बाहर खदेड़ा और विक्रम सेना का गठन करके पूरे भारतवर्ष में अपना एकछत्र शासन स्थापित किया। यही नहीं, उन्होंने अपने राज्य का विस्तार अरब और मिस्र तक किया। ऐतिहासिक ग्रंथ, शिलालेख और उनके बारे में प्रचलित अनेकों दंतकथाएं जनमानस पर वीर विक्रमादित्य के व्यक्तित्व के अमिट प्रभाव की प्रमाण है। हमारे ऐसे पूर्वजों से हमें अवश्य प्रेरणा प्राप्त करनी चाहिए। उपरोक्त बातें संघ के संचालन प्रमुख लक्ष्मण सिंह बेण्यांकाबास ने विक्रमोत्सव (विक्रम संवत के प्रथम दिन) पर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में अपने उद्बोधन में कहीं। वर्चुअल कार्यक्रम में देशभर से समाजबन्धु जुड़ें तथा महान विक्रमादित्य के प्रति अपनी श्रद्धा व कृतज्ञता प्रकट की। वर्चुअल कार्यक्रम के अतिरिक्त विक्रमोत्सव के उपलक्ष्य में अनेक स्थानों पर भौतिक कार्यक्रम भी आयोजित हुए। जालोर संभाग के भीनमाल प्रान्त के रामसीन गांव में संघ के केंद्रीय कार्यकारी रेवन्त सिंह पाटोदा की उपस्थिति में सम्राट विक्रमादित्य स्मृति समारोह मनाया गया। उन्होंने उपस्थित समाजबंधुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के जिस शासक के लिए अरब का लेखक यह कहे कि विक्रमादित्य के शासन में शासित होने का सौभाग्य पाकर वह गौरवान्वित है तो ऐसे शासक की महानता स्वयं ही सिद्ध हो जाती है। हमारे ऐसे महान पूर्वजों ने ही हमारी कौम के तेज को बनाये रखा है और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करना और उनसे प्रेरणा प्राप्त करना हमारा कर्त्तव्य है। कार्यक्रम को गंगासिंह परमार (पूर्व प्रशासनिक अधिकारी), बाघसिंह पुनग (पंचायत समिति सदस्य), भेरूपाल सिंह कोलर ने भी संबोधित किया। संभागप्रमुख अर्जुन सिंह देलदरी भी सहयोगियों सहित कार्यक्रम में उपस्थित रहे। परमार वंश की कुलदेवी कुलटी माता सभा स्थल पर वीर विक्रमादित्य की मूर्ति का अनावरण भी किया गया। इसी प्रकार बाड़मेर शहर प्रान्त में श्री जय भवानी छात्रावास, गांधीनगर में भी वीर विक्रमादित्य स्मृति समारोह का आयोजन किया गया। संभाग प्रमुख कृष्ण सिंह राणीगांव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि विक्रमादित्य की महानता का जीवंत प्रमाण उनकी स्मृति में प्रारम्भ हुआ विक्रम संवत है जो भारतीय काल गणना का मुख्य आधार है। ऐसे महान शासक का जीवनवृत्त हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। चौहटन स्थित श्री भवानी क्षत्रिय बोर्डिंग हाउस में भी विक्रमोत्सव समारोह पूर्वक मनाया गया जिसमें संभागप्रमुख कृष्ण सिंह राणीगांव के साथ प्रांतप्रमुख उदय सिंह देदूसर तथा महिपाल सिंह चूली सहयोगियों सहित उपस्थित रहे। गुड़ामालानी प्रान्त के बूठ गांव में भी वरिष्ठ स्वयंसेवक कमल सिंह जी गेहूं की उपस्थिति में वीर विक्रमादित्य स्मृति समारोह का आयोजन हुआ। बाबू सिंह बूठ, मल्लसिंह उण्डखा व गणपत सिंह बूठ ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। शिव प्रान्त के भिंयाड़ गांव स्थित मातेश्वरी शाखा मैदान में भी सम्राट विक्रमादित्य स्मृति समारोह आयोजित किया गया जिसमें प्रान्त प्रमुख राजेन्द्र सिंह भिंयाड़ सहयोगियों व समाजबंधुओं सहित उपस्थित रहे।