श्री लक्ष्मणसिंह बैण्यांकाबासः वर्तमान संघप्रमुख
वर्तमान में श्री लक्ष्मणसिंह बैण्यांकाबास श्री क्षत्रिय युवक संघ के संघप्रमुख के रूप में संघ का नेतृत्व कर रहे हैंं, आपको 4 जुलाई 2021 को संघ के मार्गदर्शक एवं संरक्षक माननीय भगवानसिंह रोलसाहबसर ने अपने सहयोगियों के परामर्श से संघ का पंचम संघप्रमुख नियुक्त किया है। आपका जन्म 5 फरवरी 1968 में जयपुर के निकट स्थित गांव बैण्यांकाबास में हुआ। आपके पिताजी का नाम श्री दीपसिंह बैण्यांकाबास है एवं माताजी का नाम श्रीमती किरण कंवर है। आपका प्रारंभिक अध्ययन गांव के विद्यालय से प्रारंभ हुआ और तदंतर तीसरी कक्षा से जयपुर में पढ़ना प्रारंभ किया। 1989 में आपने जयपुर के लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय से विज्ञान विषय में स्नातक उत्तीर्ण किया। संघ से आपका संपर्क बचपन से ही था, आपके पिता श्री दीपसिंह बैण्यांकाबास संघ के निष्ठावान वरिष्ठ स्वयंसेवकों में से एक हैं। वे पूज्य तनसिंह जी, पूज्य नारायण सिंह जी व माननीय भगवानसिंह जी के सदैव निकट संपर्क में रहे हैं और उस संपर्क का लाभ आपको को भी हुआ। आप 1980 में जयपुर में अध्ययनरत रहते हुए पहली बार संघ की शाखा में आये और उसी वर्ष बीकानेर जिले की कोलायत तहसील के गोविंदसर गांव में आयोजित सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में शामिल हुए। तदंतर आपका नियमित रूप से संघ की शाखा व शिविरों में आना निरंतर जारी है। आपने जून 2020 तक संघ के कुल 135 शिविर कर लिए हैं। 1993 में आपका विवाह भी आपके पिताजी की तरह ही संघ के निष्ठावान स्वयंसेवक स्व. रिछपालसिंह जी सिंघाणा की पुत्री यशवीर कंवर से हुआ। संघ के शिविरों और शाखाओं के अलावा आपको माननीय महावीर सिंह जी सरवड़ी के निकट सानिध्य में रहने का अवसर मिला और उस अवसर का लाभ उठाते हुए आपने अपने भीतर के स्वयंसेवकत्व के लिए पोषण प्राप्त किया। इसी दौरान आपको संघशक्ति के संपादन में सहयोग करने का भी अवसर मिला और सह संपादक बने। कालांतर में 2002 से आप संघशक्ति के संपादक का दायित्व निभा रहे हैं। 1997 में संघ का एक पाक्षिक समाचार पत्र 'पथप्रेरक' प्रारंभ हुआ जिसका आप प्रारंभ से ही संपादन कर रहे हैं। 1993 में माननीय भगवानसिंह जी के सड़क दुर्घटना में घायल होने पर आप उनकी निकट सेवा में रहे और उस सानिध्य ने भी आपके भीतर के संघ को उपयुक्त पोषण प्रदान किया। माननीय भगवानसिंह जी की प्रेरणा से ही आपने 1994 में श्री भगवती परिधान के नाम से जयपुर में कपड़े का व्यापार शुरु किया। 1995 में जयपुर में संघ के केन्द्रीय कार्यालय बाबत 'संघशक्ति' भवन बनकर तैयार हुआ। कार्यालय के प्रारंभ से ही आपने प्रतिदिन 4 घंटे केन्द्रीय कार्यालय में बैठकर संघकार्य करना प्रारंभ किया जो निरंतर जारी है। शाखाओं में शिक्षण के अलावा अनेक शिविरों में शिक्षण में सहायक बनने के बाद आपने पहली बार 2002 में अलवर जिले के नंगला जादू गांव में आयोजित चार दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में स्वतंत्र रूप से शिविर संचालन का दायित्व निभाया। तदंतर लगातार शिविरों के शिक्षक के रूप में आप क्रियाशील हैं। विगत 5 वर्षों से आप संघ के सबसे बड़े शिविर ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर में मुख्य शिक्षक की भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। संघ के सहयोगी के रूप में आप पहली बार 1995 में जयपुर शहर के मंडल प्रमुख बनाये गये, तदंतर विभिन्न दायित्वों को निभाते हुए 2015 में आपको मुख्य कार्यकारी बनाकर संचालन प्रमुख माननीय महावीर सिंह जी के मार्गदर्शन में संघ की युवा टीम का नेतृत्व सौंपा गया। 2016 में आप पुनः मुख्य कार्यकारी बनाये गये और 2017 में आपको संचालन प्रमुख का दायित्व देकर संघ के नित्य प्रति के समस्त प्रकार के कार्यों का प्रभारी बना दिया गया। इस बीच मौन साधक के रूप में विनय पूर्वक सहज भाव से आप तात्कालिक नेतृत्व द्वारा आपको उपलब्ध करवाये गये सहयोगियों का नेतृत्व करते रहे। 4 जुलाई 2021 को आपको संघप्रमुख का गुरुत्तर दायित्व सौंपा गया है जिसका निर्वहन आप उसी सहज भाव से गतिशील होकर कर रहे हैं।