पूज्य तनसिंह जी ने अपनी अनुभूतियों के भावातिरेक को काव्यात्मक स्वरुप प्रदान कर अनेकों गीतों की रचना की। इन गीतों में कर्म, विचार एवं भावना की त्रिवेणी का समन्वय है। आत्मघाती निराशा के बीच आशा का संचार है। पूज्य तनसिंह जी के बहुआयामी व्यक्तित्व की झलक है। जन मानस को दिशा – दर्शन देने की प्रेरणा है। पूज्य तनसिंह जी द्वारा रचित ऐसे ही सभी गीतों का संकलन है यह पुस्तक। यह संकलन 1960 में ’संघशक्ति’ पत्रिका के विशेषांक में प्रकाशित हुआ जिसे पुस्तक रुप में ’झनकार’ नाम से 1971 में प्रकाशित किया गया। यह एक प्रकार से पूज्य तनसिंह जी के व्यक्तित्व की काव्यात्मक अभिव्यक्ति है।