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जीवन की शाश्वत श्रृखंला में एक कडी हैं हम

"आज के समय में प्रत्येक मनुष्य समझता है कि इस जगत में वह एक पृथक इकाई है और जगत को मोढ कर सुधारकर अपनी ईच्छानुसार बदलना चाहता है। इसी प्रक्रिया में शस्त्रयुध्द, विचार युध्द आदि का जन्म होता है। किन्तु वास्तव में हम एक पृथक इकाई न होकर जीवन की शाश्वत श्रृखंला में एक कडी हैं। अपने जीवन को ईश्वरीय विधान के अनुरूप बनाना ही उसकी सार्थकता है। किन्तु जगत में हमारी इस असम्बंध्दता की धारना से मुक्ति का मार्ग अध्यात्मिक साधना है। इसीलिए श्री क्षत्रिय युवक संघ में हम अध्यात्मिक साधना भी कर रहें है। सामुहिक जीवन का यह अभ्यास हमें जगत में अपने निश्चित उद्देश्य को पहचानने में सहायता करता है।" श्री महावीर सिंह जी सरवडी ने 'साधक की समस्याएँ' पुस्तक पर चर्चा में यह बातें कही। शिविर के आठवें दिन बौध्दिक में श्री गजेंद्र सिंह आऊ ने इतिहास पर प्रवचन दिया। साथ ही में संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक सेवानिवृत कर्नल हिम्मत सिंह पीह की पुस्तक 'स्वतंत्र भारत की क्षत्रिय प्रतिभाएँ' का विमोचन माननीय संघप्रमुख श्री द्वारा किया गया।

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