त्वरित गति और तत्परता से करें संघकार्य – संरक्षक श्री
(उच्च प्रशिक्षण शिविर का दसवाँ दिन) ईशोपनिषद में कहा गया है कि ईश्वर ने हमें इस धरती पर भेजा है, यह जीवन दिया है तो हम 100 वर्ष तक भगवान द्वारा नियत कर्म, करणीय कर्म को करते हुए जीने की कामना करें। संघ का काम तभी हो सकेगा जब हम जीवित रहकर लोगों को प्रेरणा देते रहें, अतः यह कामना भी बुरी नहीं है। करणीय कर्म, जो भगवान द्वारा नियत है, वह हमको बांधता नहीं है ईश्वर की ओर ले जाता है। ऐसा ही यजुर्वेद में कहा है कि 100 वर्ष तक हमारी इंद्रियां कार्य करती रहे जिससे हम भगवान की बात सुन सकें, भजन-कीर्तन कर सकें, उन की ओर बढ़ सकें। कमजोर शरीर, इंद्रियां, मन और बुद्धि वाला व्यक्ति श्री क्षत्रिय युवक संघ का काम नहीं कर सकेगा। संघ की आज्ञा है आपको कि आपको संघ का काम करना ही है, लस्टम-पस्टम गति से नहीं, त्वरित गति से तत्परता के साथ करना है और जो भी हम करें वह मन-बुद्धि से स्वीकृत हो। हमारा अहंकार कहीं इसमें आड़े ना आ जाए। इसके लिए परमेश्वर से प्रार्थना करते रहें। उपरोक्त बातें माननीय संरक्षक श्री भगवान सिंह रोलसाहबसर ने उच्च प्रशिक्षण शिविर के दसवें दिन 28 मई को अपने प्रभात संदेश में कही। 'शंका समाधान’ में स्वयंसेवकों की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। बौद्धिक सत्र में ’नेतृत्व’ विषय पर प्रवचन हुआ। माननीय महावीर सिंह जी सरवड़ी द्वारा ’शिक्षक की समस्याएं’ पुस्तक पर चर्चा की गई। #ShriKYS