प्रजातांत्र में सर्व धर्म सद्भाव व सामाजिक समरसता अत्यंत महत्वपूर्ण : संघप्रमुख श्री
हमारा भारतीय समाज अनेकों जातियों, सम्प्रदायों, पंथो आदि से मिलकर बना है। इन सभी के बीच सद्भाव और समरसता ही प्रजातांत्रिक व्यवस्था का आधार है। यदि सामाजिक सद्भावना और समरसता पर चोट होती है तो राष्ट्र को और प्रजातांत्रिक व्यवस्था को उसके दुष्परिणाम भोगने ही पड़ेंगे। इसीलिए हमारा दायित्व है कि हम सामाजिक सद्भावना और समरसता को बनाये रखने में सहभागी बनें। इतिहास साक्षी है कि सभी को साथ लेकर चलने की क्षमता क्षत्रिय से बढ़कर किसी में नहीं, इसीलिए हम पर समाज के नेतृत्व और मार्गदर्शन की जिम्मेदारी है। प्रजातंत्र में चुनाव नेतृत्व प्राप्त करने का मुख्य माध्यम है अतः हमें चुनावों में अधिकाधिक मतदान कर अपने समाज की स्थित मजबूत बनानी है। समाज को शक्तिशाली बनाकर ही हम राष्ट्र की सेवा करने में समर्थ हो सकेंगे। उपरोक्त संदेश माननीय संघप्रमुख श्री ने आज दिनांक 22 अप्रैल, 2019 कोबालोतरा स्थित श्री वीर दुर्गादास राठौड़ राजपूत छात्रावास में "लोकतांत्रिक व्यवस्था में सामाजिक सहभागिता" विषय पर आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी में दिया जिसमें सिवाना व पचपदरा विधानसभा क्षैत्र के सैकड़ो प्रबुद्धजनों ने भाग लिया। कार्यक्रम को क्षात्र पुरुक्षार्थ फाउंडेशन के प्रदेश सह संयोजक श्री आजाद सिंह राठौड़ शिवकर, श्री सोहन सिंह भायल, श्री भगवत सिंह जसोल, श्री हुकम सिंह अजीत ने भी संबोधित किया।