मुद्दों की समझ विकसित करना आवश्यक
आज समाज में विभिन्न मुद्दे समय-समय पर जनमानस को उद्वेलित करते रहते हैं। अक्सर समाज की भावनाएं ऐसे मुद्दों से जुड़ी होती है अतः समाज का एक बड़ा हिस्सा विशेषतः युवावर्ग उस मुद्दे पर उठने वाली हर आवाज़ के साथ उठ खड़ा होता है, बिना यह ठीक प्रकार से समझे कि वास्तव में वह मुद्दा कितना महत्वपूर्ण है, उसके पक्ष-विपक्ष क्या है, विरोध का सही माध्यम क्या हो, किस पर दबाव बनाना है और कितना बनाना है आदि। इसका परिणाम यही होता है कि किसी आंदोलन का कोई निश्चित स्वरूप नहीं बनता, उद्देश्य प्राप्ति से पूर्व ही वह बिखर जाता है तथा जितना हमें प्राप्त नहीं होता उससे अधिक हानि उठानी पड़ जाती है। अतः आवश्यक है कि युवाओं को सही मार्गदर्शन दिया जाए, उनकी ऊर्जा को सकारात्मक मोड़ दिया जाए तथा उनमें विभिन्न मुद्दों के सम्यक विवेचन की क्षमता विकसित की जाये। उपरोक्त विमर्श जयपुर स्थित संघ मुख्यालय 'संघशक्ति' में 04 मार्च 2018 को आयोजित चिंतन बैठक में उभर कर आया। इस बैठक में उद्योग, पत्रकारिता, राजनीति, सूचना-अधिकार कानून आदि विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत अग्रणी समाज बंधु सम्मिलित हुए। माननीय संघप्रमुख श्री के सान्निध्य में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में समाज की युवाशक्ति के सकारात्मक मार्गदर्शन पर मंथन हुआ। कार्यक्रम में कोटा, भीलवाड़ा, चित्तौड़, उदयपुर, सिरोही, पाली, जालोर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, बीकानेर, झुंझुनू, सीकर, जयपुर आदि जिलों सहित पूरे राजस्थान के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। चर्चा के दौरान यशवर्धन सिंह झेरली, सुरेन्द्र सिंह ख्याली, राजेन्द्र सिंह देणोक, नरपत सिंह वोपारी, नरेंद्र सिंह गिंगोली, रूपेन्द्र सिंह करीरी, लोकेंद्र सिंह कोटा, राम सिंह चरकडा, राजेन्द्र सिंह भिंयाड़, अरविंद सिंह बालवा, कर्नल नारायण सिंह बेलवा, नारायण सिंह गोटन, जब्बर सिंह गिड़ा, नवीन सिंह भवाद, पत्रकार भवानी सिंह, गजेन्द्र सिंह मानपुरा, श्रवणसिंह दासपां, श्यामप्रताप सिंह इटावा, विमलेंद्र सिंह राणावत, श्रीपाल सिंह शक्तावत आदि ने अपने विचार रखे। वरिष्ठ स्वयंसेवक महावीर सिंह जी सरवड़ी ने विभिन्न मुद्दों पर संघ की भूमिका को स्पष्ट करते हुए कहा कि संघ ने विगत वर्षों में हुए अनुभवों से तय किया है कि विविध मुद्दों पर होने वाले आंदोलनों में बनने वाली सभी संगठनों की किसी भी केंद्रीय समिति में संघ सम्मिलित नहीं होगा। ऐसा कोई भी प्रयास यदि समाज हित में होगा तो संघ सहयोगी के रूप में साथ रहेगा लेकिन निर्णय प्रक्रिया में शामिल नहीं होगा और यदि संघ को ऐसा कोई प्रयास समाज हित में नहीं लगेगा तो संघ उसमें कोई सहयोग नहीं करेगा किन्तु विरोध भी नहीं करेगा, जिससे सामाजिक एकता को ठेस न लगे। माननीय संघप्रमुख श्री ने उपस्थित समाजबंधुओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ईश्वर को स्मरण करते हुए श्रेष्ठ कर्म करते रहें, ईश्वर का आशीर्वाद मिलेगा। उन्होंने कहा कि पांडवों की तरह युद्ध करें और परमेश्वर का सदा स्मरण रखें।