(उच्च प्रशिक्षण शिविर का नवां दिन)
चरित्र इतिहास से और पूर्वकाल के संस्कारों से ही बनता है। शौर्य, वीरता, तेज जैसे गुण पीढ़ियों से जिस कौम के रक्त में चलते आए हैं उन्होंने ही इतिहास रचा। चरित्र का ...
(उच्च प्रशिक्षण शिविर का आठवां दिन)
भारतीय मनीषियों ने सबसे पहले जो खोज की, अपने ज्ञान, ध्यान और तपस्या से उनके जो अनुभव में उतरा, उन्हें वेद कहते हैं। उन्हीं वेदों का सूक्ष्म रूप उपनिषद है। उनमें ...
(उच्च प्रशिक्षण शिविर का सातवां दिन)
"भूतानां प्राणिनः श्रेष्ठाः प्राणिनां बुद्धिजीविनः। बुद्धिमत्सु नराः श्रेष्ठा नरेषु क्षत्रियाः स्मृताः।।" यह मनुस्मृति का श्लोक है। जितने भी प्राणी हैं उनको आध्...
(उच्च प्रशिक्षण शिविर का छठा दिन)
कोई भी संस्था अथवा कोई भी संगठन होता है तो उसका प्राण उसका अनुशासन है। अनुशासन का अर्थ है शिक्षक की आज्ञाओं का हूबहू पालन करना। किंतु सैन्य अनुशासन और हमारे अनुशास...
(उच्च प्रशिक्षण शिविर का पांचवा दिन)
गीता में वर्णित कर्म के पांच कारणों में जो पहला कारण है वह है – अधिष्ठान। अधिष्ठान का अर्थ होता है आधार। श्री क्षत्रिय युवक संघ के लिए समाज ही अधिष्ठान हैं अर्थ...
श्री क्षत्रिय युवक संघ के संरक्षक महोदय भगवान सिंह रोलसाहबसर आज चौहटन के विरात्रा में वाकल माता मंदिर परिसर में चल रहे बालिका उच्च प्रशिक्षण शिविर में पहुंचे तथा शिविरार्थी बालिकाओं से भेंट की। शिविर ...
(उच्च प्रशिक्षण शिविर का चतुर्थ दिन)
भगवान के अस्तित्व के बारे में दो मान्यताएं हैं, जो उस अस्तित्व को स्वीकार करते हैं उनको आस्तिक कहते हैं और जो स्वीकार नहीं करते उन्हें हम नास्तिक कहते हैं। आस्त...
श्रीमद्भगवद्गीता के 18वें अध्याय में भगवान श्री कृष्ण द्वारा कर्म के होने के लिए पांच कारण बताए गए हैं। प्रथम कारण है - अधिष्ठान अर्थात क्षेत्र। श्री क्षत्रिय युवक संघ के स्वयंसेवक के लिए समाज ही अधिष...
(उच्च प्रशिक्षण शिविर का दूसरा दिन)
हम सभी इस शिविर में साधना के लिए आए हैं। पूज्य श्री तनसिंह जी द्वारा प्रदत्त हमारी साधना प्रणाली में अष्टांग योग के सभी अंग - यम, नियम, आसन, प्राणायाम, धारणा, ध्या...
श्री क्षत्रिय युवक संघ का बालिकाओं का ग्यारह दिवसीय प्रशिक्षण शिविर 19 मई को चौहटन के विरात्रा स्थित वाकल धाम तीर्थ स्थल पर प्रारंभ हुआ। शिविर संचालिका वरिष्ठ स्वयंसेविका जागृति बा हरदासकाबास ने अपने ...