समाचार

सिरोही प्रान्त- स्नेहमिलन कार्यक्रम सम्पन्न

सिरोही प्रान्त के स्वयंसेवको का स्नेहमिलन 27.05.2017 की शाम को आदर्शनगर, सिरोही में रखा गया। इसमें सत्र 2017-18 के लिए कार्ययोजना बनाई गई और उसके अनुरूप स्वयंसेवकों को दायित्व दिए गए। सिरोही प्रान्त क...

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सायला प्रान्त- स्नेहमिलन कार्यक्रम सम्पन्न

उच्च प्रशिक्षण शिविर, पुष्कर में मिले निर्देशो के अनुरूप 10-11 जून को बाड़मेर में होने वाले शिविर से पूर्व प्रान्त स्तरीय कार्ययोजना तैयार करने हेतु सायला-भीनमाल-जसवंतुरा प्रांत का स्नेहमिलन दूदवा में ...

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बाड़मेर शहर – प्रान्त स्तरीय स्नेहमिलन संपन्न

माननीय संघ प्रमुख महोदय के निर्देशानुसार शनिवार, 27.05.2017 को शाम छः बजे स्थानीय भारतीय ग्रामीण आलोकायान संस्थान आश्रम मे बाड़मेर शहर के स्वयं सेवकों का प्रान्त स्तरीय स्नेह मिलन समारोह संभाग प्रमुख र...

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खोये ईश्वरीय भाव को पुनः प्राप्त करें क्षत्रिय – संघप्रमुख श्री

"संस्कार निर्माण के कार्य में माताओं की भूमिका सर्वोपरि है। भावी पीढ़ी को संस्कारित करने हेतु माताओं को तैयार करने के लिए संघ बालिकाओं के शिविर लगाता है। आपका संघ के प्रति विश्वास अपनी बच्चियों को शिवि...

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बालिका वर्ग का सप्तदिवसीय प्रशिक्षण शिविर प्रारम्भ

श्री क्षत्रिय युवक संघ का बालिका वर्ग का सात दिवसीय ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर आज 25.05.2017 से विद्या निकेतन स्कूल, चित्तौड़गढ़ में प्रारम्भ हुआ। शिविर में सायं 5 बजे स्वागत कार्यक्रम हुआ, जिसमें वरि...

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आंसू नहीं अंगारे लेकर चलें

"विदा के क्षण वे कठिन क्षण होते है जब आत्मीयता तरल होकर प्रकट हो जाती है। ये जो हमारी आँखों से आंसू बहे है, हमारी युगों की पहचान के प्रमाण है। यह हमारी तन सिंह जी के प्रति, संघ के प्रति कृतज्ञता है। त...

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जीवन की शाश्वत श्रृखंला में एक कडी हैं हम

"आज के समय में प्रत्येक मनुष्य समझता है कि इस जगत में वह एक पृथक इकाई है और जगत को मोढ कर सुधारकर अपनी ईच्छानुसार बदलना चाहता है। इसी प्रक्रिया में शस्त्रयुध्द, विचार युध्द आदि का जन्म होता है। किन्तु...

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क्षत्रिय अपना उत्तरदायित्व समझें

"भारत के मनीषियों ने मानव मन, उसके संवेगों, प्रवृतियों स्वाभाव आदि के आधार पर पूर्णत: वैज्ञानिक वर्ण व्यवस्था को अपनाया था जो ईश्वरीय विधान के अनुरूप थी| युग के प्रभाव में आकर चारों वर्णों ने अपना उत्...

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अलक्षित सौन्दर्य को देखें

"दूसरों के दोषों को देखना एक चारित्रिक दोष है, जिससे स्वयंसेवक को यत्नपूर्वक बचना चाहिए| हमारे स्वयं के भीतर और बाहर संसार में भी, कितना ही सौन्दर्य और श्रेष्ठताएँ अलक्षित पड़े है| स्वयंसेवक को अपनी दृ...

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हमारा जीवित समाज

"सांस्कृतिक मान्यताएँ, संवेदना और पीड़ा, स्वधर्म की मान्यता, मान बिन्दुओं के प्रति सम्मान, जिजीविषा, प्रतिशोध की भावना आदि जीवित समाज के लक्षण है| क्षत्रिय युवक संघ ने भली भांति परीक्षण करके यह निश्चित...

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