"आज के समय में प्रत्येक मनुष्य समझता है कि इस जगत में वह एक पृथक इकाई है और जगत को मोढ कर सुधारकर अपनी ईच्छानुसार बदलना चाहता है। इसी प्रक्रिया में शस्त्रयुध्द, विचार युध्द आदि का जन्म होता है। किन्तु...
"भारत के मनीषियों ने मानव मन, उसके संवेगों, प्रवृतियों स्वाभाव आदि के आधार पर पूर्णत: वैज्ञानिक वर्ण व्यवस्था को अपनाया था जो ईश्वरीय विधान के अनुरूप थी| युग के प्रभाव में आकर चारों वर्णों ने अपना उत्...
"दूसरों के दोषों को देखना एक चारित्रिक दोष है, जिससे स्वयंसेवक को यत्नपूर्वक बचना चाहिए| हमारे स्वयं के भीतर और बाहर संसार में भी, कितना ही सौन्दर्य और श्रेष्ठताएँ अलक्षित पड़े है| स्वयंसेवक को अपनी दृ...
"सांस्कृतिक मान्यताएँ, संवेदना और पीड़ा, स्वधर्म की मान्यता, मान बिन्दुओं के प्रति सम्मान, जिजीविषा, प्रतिशोध की भावना आदि जीवित समाज के लक्षण है| क्षत्रिय युवक संघ ने भली भांति परीक्षण करके यह निश्चित...
"अहंकार का उद्गम अज्ञान से है, यद्यपि उसका दावा ज्ञान का है| अहं अनेक रूपों में प्रकट होकर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष आक्रमण द्वारा हमारी साधना को नष्ट करने का प्रयत्न करता है| अहं का सामाजिक स्वाभिमान...
पुष्कर में आयोजित हो रहे श्री क्षत्रिय युवक संघ के उच्च प्रशिक्षण शिविर में आज तीसरे दिन यज्ञोपवीत संस्कार संपन्न किया गया जिसमे सभी स्वयंसेवकों ने मंत्रोच्चार के साथ नवीन यज्ञोपवीत धारण किये | इसके प...
"वर्तमान समय में सम्पूर्ण संसार में भिन्न - भिन्न प्रकार के दुराचार, भ्रष्टाचार, अत्याचार आदि अत्याधिक बढ़ रहे है जिसका मूल कारण क्षात्र वृति के पालन से क्षत्रिय का पीछे हटना है| क्षत्रिय के स्वधर्म पा...
"श्री क्षत्रिय युवक संघ के शिविरों में हम प्रशिक्षण प्राप्त करने और ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते है| अनेक वर्षों से नियमित रूप से यह प्रशिक्षण हम प्राप्त कर रहे है| क्षत्रिय युवक संघ हमको जो सीखा रहा...